माँ का अनमोल प्रसाद

किसी देवी भक्त ने एक दिन मंदिर में खीर- पूड़ी बटवाया
यह बालक भी देवी भक्त है यह मंदिर में प्रसाद लेने आया।
इस बालक के माता-पिता ने अच्छे संस्कार दिए हैं
जो भी हो जैसा भी हो मिल बाँट कर खाना
अपने मन में कभी अहं – हीन भाव मत लाना।
इसे उस मंदिर में खीर पूड़ी का प्रसाद मिला
प्रसाद मिलने पर इस बालक ने माँ का धन्यवाद् किया।
पूड़ी को मुँह में दबा कर
खीर को दोनों हाँथों में लेकर
चल पड़ा वह घर की ओर
घर पहुँच कर प्रेम भाव से सभी को यह प्रसाद दिया
घर में सभी जनों ने प्रेम से माँ का नाम लिया
सभी जनों ने आज के प्रसाद के लिये माँ को धन्यवाद किया।
राकेश कुमार राठौर
चाम्पा (छत्तीसगढ़)