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21 Oct 2022 · 3 min read

चौबोला छंद (बड़ा उल्लाला) एवं विधाएँ

चौबाला छंद , 8 – 7 , अंत दीर्घ

(चौपई/जयकारी/जयकरी छंद में पदांत लघु गुरु (२१ ) से होता है पर पदांत १२ से हो तब वह चौबोला छंद बन जाता है
चार चरण,प्रत्येक चरण में 15 मात्राएँ,
विशेष ध्यान ——-प्रत्येक चरण में आठ – सात पर यति
अंत में लघु गुरु ।दो-दो चरण समतुकांत।

जहाँ दिखावा चलता रहे |
श्वान- सियार प्रवचन कहे |
गीदड़ बनता ज्ञानी जहाँ |
दिखता सबको कीचड़ वहाँ ||

बहता जल भी बेकार है |
घुली जहाँ पर कटु खार है ||
झूँठा झंडा जहाँ फहरे |
लगते कब है वहाँ पहरे ||

सुभाष सिंघई
~~~~~~~~~~~~~~
मुक्तक

नहीं वचन कटु कुछ बोलिए |
झूठ कहानी मत तोलिए |
महफिल कटुता से हो भरी ~
पत्ते अपने मत खोलिए |

चौबोला मुक्तक 15 मात्रा

चले चलो अब सब शुद्ध हैं |
कल के अशिष्ट अब बुद्ध हैं |
जाप शांति का करते मिले –
भाव भंगिमा से क्रुद्ध हैं |

चौपई मुक्तक

उनकी देखी खिची लकीर |
देते सबको उससे पीर |
लग जाती‌ है जिसको आग –
डाले घी को कहते नीर |

सुभाष सिंघई
~~~~~~~
गीतिका

जो भी जैसे हालात हैं |
पिसते रहते दिन रात हैं |

उनके जलवें कैसे बने
रोती रहती औकात हैं |

जहाँ झोपड़ी टूटी रहे ,
कर देते वह बरसात है |

चालाकी से रहवर बने ,
देते सबको आघात हैं |

चूहे खाकर अब बिल्लियाँ ,
देती सबको सौगात हैं |।

सुभाष ‌सिंघई
~~~~~~~~~~~~~~~~
#चौबोला छंद

(चौपई/जयकारी/जयकरी छंद में पदांत लघु गुरु (२१ ) से होता है पर पदांत १२ से हो तब वह चौबोला छंद बन जाता है
चार चरण,प्रत्येक चरण में 15 मात्राएँ,
विशेष ध्यान ——-प्रत्येक चरण में आठ – सात पर यति
अंत में लघु गुरु ।दो-दो चरण समतुकांत।

आठ -सात यति समझाने के लिए प्रत्येक चरण में अल्प विराम लगा रहा हूँ , बैसे लगाना जरुरी नहीं है

छंद

स्वार्थी मतलब , ही जानता | लोभी ही‌ धन, पहचानता ||
मेहनतकश ही , फल मानता | कपटी खोटा ‌, ही ठानता ||

खोटापन भी , जो पालता | जलती आगी , घी डालता ||
सबकी आँखें ,भी फोड़ता |‌ गर्दभ घोड़े , से ‌ जोड़ता ||

खोट समझकर , जब खेत में | फेंके धूली , जल रेत में |
वह भी उगकर , अब दे रहे | आम लीजिए , सुभाष कहे ||
==============================

चौबोला गीतिका
इसी तरह भी चौबोला गीतिका लिखी जा सकती है , पर आठ सात -आठ सात पर 1 2 से यति करके, तीस मात्रा की

स्वार्थी मतलब , ही जानता , लोभी भी धन, पहचानता |
मेहनतकश भी , फल मानता , कपटी खोटा ‌, ही ठानता ||

खोटापन भी , जो पालता , जलती आगी , घी छोड़के |,
सबकी आँखें ,भी फोड़ता , सदा दुश्मनी , ही मानता |

इसी‌ तरह से युग्म लिखे जा‌ सकते है
==============================!
या
==============
इस तरह की भी चौबोला गीतिका लिखी जा सकती है , पर आठ सात -आठ सात पर 1 2 से यति करके, तीस मात्रा की

स्वार्थी मतलब , चर्चा करे , लोभी भी धन , पहचानता |
मेहनतकश जब ,साहस भरे , कपटी खोटा ‌, ही ठानता ||

खोटापन भी , जो पालता , जलती आगी , घी छोड़के |,
सबकी आँखें ,भी फोड़ता , सदा दुश्मनी , ही मानता |

इसी‌ तरह से युग्म लिखे जा‌ सकते है

==============================!

चौबोला छंद में मुक्तक

स्वार्थी मतलब , ही जानता |
लोभी ही‌ धन, पहचानता |
मेहनतकश जब, सुकाम करे
कपटी खोटा ‌ , ही ठानता |

खोटापन भी , जो पालता |
कच्चे कानों , घी डालता |
धूल झोंककर, चलता दिखे ~
सबको बातों , में ढालता |‌

खोट समझकर , जब खेत में |
फेंका धूली , जल रेत में |
वह भी उगकर , अब दे रहे ~
आम कहे हम , अब हेत में ||

===============≠==========

Language: Hindi
3 Likes · 74 Views
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