Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2024 · 1 min read

चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।

छंद -लावणी
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
रूॅठ गयी है चिड़िया रानी, हमको उसे मनाना है।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
भोर हुई वो घर आ जाती ।
मन को सबके बहुत लुभाती ।।
पटर -पटर वो मीठे स्वर में,
नये -नये कलरव सुर गाती।
रूॅठ गयी क्यों चिड़िया रानी,हमको पता लगाना है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
फुदक-फुदक कर जाती डाली।
लगती सबको बहुत निराली।।
खगवृंदो की सखी-सहेली,
सभी परिंदों में है आली।
आ जाये फिर घर आंगन में,यह माहौल बनाना है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पर्यावरण सुरक्षित होगा।
वातावरण परिष्कृत होगा।।
सौंपे उसको वही घरोंदा,
तापमान संकल्पित होगा।
आओ यह संकल्प करें हम,लालच अल्प मिटाना है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Language: Hindi
Tag: गीत
88 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

3253.*पूर्णिका*
3253.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
Neelofar Khan
वर्तमान का सोशल मीडिया अच्छे अच्छे लोगो को बाजारू बना दिया ह
वर्तमान का सोशल मीडिया अच्छे अच्छे लोगो को बाजारू बना दिया ह
Rj Anand Prajapati
चुभते शूल ……
चुभते शूल ……
Kavita Chouhan
*मैं, तुम और हम*
*मैं, तुम और हम*
sudhir kumar
जिनके होंठों पर हमेशा मुस्कान रहे।
जिनके होंठों पर हमेशा मुस्कान रहे।
Phool gufran
"तुम हो पर्याय सदाचार के"
राकेश चौरसिया
इंतजार किया है कितना
इंतजार किया है कितना
C S Santoshi
दोहा पंचक. . . . माटी
दोहा पंचक. . . . माटी
sushil sarna
परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आदमी क्यों  खाने लगा हराम का
आदमी क्यों खाने लगा हराम का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"पेट की आग"
Dr. Kishan tandon kranti
असफलता अनाथ होता है।
असफलता अनाथ होता है।
Dr.Deepak Kumar
आज के युग में कल की बात
आज के युग में कल की बात
Rituraj shivem verma
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
भगवान बुद्ध
भगवान बुद्ध
Bodhisatva kastooriya
रंगीला बचपन
रंगीला बचपन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेरा नाम ही जीत हैं।😎
मेरा नाम ही जीत हैं।😎
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मैथिली
मैथिली
श्रीहर्ष आचार्य
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
Amulyaa Ratan
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
Bindesh kumar jha
तेरा ग़म
तेरा ग़म
Dipak Kumar "Girja"
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
कवि रमेशराज
आतंकवाद
आतंकवाद
मनोज कर्ण
पिता
पिता
Mansi Kadam
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
लक्ष्मी सिंह
Good
Good
*प्रणय*
पेड़ पौधे से लगाव
पेड़ पौधे से लगाव
शेखर सिंह
धरा और इसमें हरियाली
धरा और इसमें हरियाली
Buddha Prakash
Loading...