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16 Aug 2021 · 1 min read

चित्र उकेरना

एक कलाकार अनेक रंगों से चित्र में
भर देता है जैसे प्राण वायु
अनेक रंगो मे एक रंग लाल बढ़ाता हैं छवि
जैसे सूर्यास्त अपनी लालिमा को समेट रहा हो
लाल रंग,रंगे आज़ादी के दीवानों की शहादत भी
माँ का सीना कर देता फक्र से ऊंचा लाल रंग
सुभाष ने माँगा जो ख़ून ओर भरी थी हुंकार
जलाई मशाले आजादी,लाल रंग की मशाल
बन गई मिसाल,लालो ने भारत माँ के दी कुर्बानी
हरे रंग को भरा लगे जैसे प्रकर्ति भी हो श्रंगार में साथ
होली के अनेक रंगो सा लगे कलाकार का काम
एक रंग रंग से दाल देता अपने चित्र में जान
सूर्यास्त का रंग केसरिया लगता जैसे आजादी के दीवाने
चूम कर फाँसी का फंदा चले माँ को आजाद कराने
ब्याहने चला आजादी की दुल्हनियाँ को सजाकर
साँझ की रुपहली अदा जैसे बिखेर देती हैं नई छटा
बादलों की सफ़ेद छवि मानो ,प्रतिक शांति का
सफ़ेद रंग है शांति का प्रतीक कलाकार की साफ
मनःस्थिति को सामने प्रकट कर देती हैं मानो उसके
चित्रण में बनाई गई आकृति रूप ले रही हो शांति का
इससे ही होता निर्माण इन्द्रधनुषी रंगो का,साँझ के चित्र का
जब पड़ती हैं अस्त होते सूरज ,की किरणें सतरंगी सी
तो अहसास होने लगता हैं अगली सुबह के आगमन का
पर नही कोई पोतता हैं रंगों को आसमान में इस तरह से
रंगे सफेदी,लालिमा,सफेदी,कालिमा,हरियाली
एक कलाकार भर देता है अपने पटल पर उभरे चित्र को
केवल शांति का का प्रतीक बना उस चित्र को

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 351 Views

Books from Dr Manju Saini

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