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26 Apr 2020 · 1 min read

चित्त

चित्त गर लोभी हठी ,पग पग होती हार ।

समय काल सम ना रहे , करो ना अहंकार ।

करो ना अहंकार, सन्मन विमल सदा रहे।

जैसे जल की धार, समता रख पीड़ा सहे।

ढोंगी न कथाकार, अटल विश्वास प्रभु हित।

बन सच्चा दातार,अंत पछताता न चित्त ।

©️✍
अरुणा डोगरा शर्मा,
पंजाब।

4 Likes · 2 Comments · 415 Views

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