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1 Feb 2023 · 1 min read

चाहे जितना तू कर निहां मुझको

ग़ज़ल
चाहे जितना तू कर निहाँ¹ मुझको
मेरी ख़ुशबू करे अयाँ² मुझको

मैं बुलंदी पे जाके ठहरूँगा ।
तू जला और कर धुआँ मुझको

है कड़ी धूप आज तो क्या ग़म
मिल ही जायेगा सायबाँ³ मुझको

मैं निगाहों से बात कह दूँगा
जो किया तूने बे-ज़बाँ मुझको

याद नस्लें रखेंगीं अफ़साना
जो बनायेगा दास्ताँ मुझको

चल रहा हूँ जो आज मैं तन्हा
कल मिलेगा तो कारवाँ मुझको

क़त्ल करके ‘अनीस’ मेरा अब
कर दिया तूने जाविदाँ⁴ मुझको
अनीस शाह ‘अनीस’
1.छुपाना 2.प्रकट करना 3.छायादार आश्रय 4.अमर

Language: Hindi
1 Like · 190 Views
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