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30 May 2023 · 1 min read

चाहती हूं मैं

जो ईश्वर को पसंद आए, ऐसा काज चाहती हूं मैं!
नहीं औरों जैसा कोई मुकाम चाहती हूं मैं!
वक्त हो कैसा भी मगर सत्कर्म चाहती हूं मैं!
मदद करते हुए देह त्यागना चाहती हूं मैं!
लिखते – लिखते ही खुद में खोना चाहती हूं मैं!
सबसे ही अलग कुछ कर जाना चाहती हूं मैं!
लोगों के नहीं, प्रभु के समक्ष अपना शत – प्रतिशत चाहती हूं मैं!
जीवन है अलौकिक इसे और निखारना चाहती हूं मैं!
काया को नहीं मन को संवारना चाहती हूं मैं!
मैं क्या हूं ये कर्मों से सत्यापित करना चाहती हूं मैं!
पालनहार के चरणों में खुद को समर्पित करना चाहती हूं मैं!

4 Likes · 2 Comments · 107 Views
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