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2 Jun 2024 · 1 min read

चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,

चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
संदली सी जिस्म पर उसकी चांदनी जो बिखरी थी

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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