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27 Oct 2016 · 1 min read

चलो अबकी बार हटकर दिवाली मनाएं हम

चलो अबकी बार हटकर दिवाली मनाएं हम,
शहीद जवानों के नाम एक दीया जलाएं हम।

करने को रौशनी उन शहीद जवानों के घरों में,
लगाकर गले से उनके परिवारों को दिखाएं हम।

अभी जो फैला है अशिक्षा का अँधकार देश में,
शिक्षा का दीपक जलाकर उसे दूर भगाएं हम।

इस दिवाली जलाएंगे मिट्टी के दीये घरों में हम,
बस करके यही अपनी संस्कृति को बचाएं हम।

दें सीख बच्चों को संस्कृति को जीवंत रखने की,
देकर संस्कार बच्चों को फर्ज अपना निभाएं हम।

किसी चेहरे पर आ जाये मुस्कान हमारी वजह से,
दिवाली पर किसी की जिंदगी को जगमगाएं हम।

प्रार्थना करें उस प्रभु से देश में खुशहाली छाई रहे,
चलो एक बुराई अपनी छोड़ दूसरों की छुड़ाएं हम।

बहुत आदान प्रदान कर लिया है उपहारों का हमने,
अबकी बार गरीबों को यह सम्मान देकर आएं हम।

जाकर बेसहारों की बस्ती में दो मीठे बोल बोलकर,
आओ बड़े प्यार से उनको भी मिठाई खिलाएं हम।

वृद्धाश्रमों, अनाथ आश्रमों में दिवाली मनाने चलें,
चलो तुम पल दो पल उनके साथ भी बिताएं हम।

बहुत ख़ुशी महसूस होगी दूसरों को ख़ुशी देकर,
सुलक्षणा देकर ख़ुशी किसी को ख़ुशी पाएं हम।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

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