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24 Apr 2020 · 1 min read

चमचों की करती रखवाली(पंचायत)

पंचायत की बात निराली,
चमचों की करती रखवाली।
पंचो का अब मान नही है,
जनता मे अब जान नही है।

बापू ने देखा था सपना,
सेवक जस हो मुखिया अपना।
बन राजा जन को न नकारे,
मानवता की बात विचारे।

पर बहुतेरे मुखिया ऐसे,
मृग बन भागे मारिच जैसे।
पल पल हैं जनता को छलते,
खून चूस जस खटमल पलते।

सरकारों से पाकर पैसा,
काम करें वो ऐसा वैसा।
शौचालय खुद ही बनवाएं,
दोयम ईंटें बस चुनवाएं।

लेकर के दुल्हन का खाता,
उसमें ही है पैसा जाता।
पांव कभी न घर से निकाली,
फिर भी है वो पैसे वाली।

ऐसे मुखिया मिलते उनको,
है प्यारा बस पैसा जिनको।
बात “जटा” की सुन लो यारों,
बेंच वोट खुद को ना मारो।

जटाशंकर”जटा”
२४-०४-२०२०
पंचायती राज दिवस विशेष
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
मो०-9792466223

Language: Hindi
Tag: कविता
5 Likes · 3 Comments · 448 Views

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