Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2016 · 1 min read

चट्टानों पे चलकर मै आज यहॉ तक पहुची हूं

चट्टानों पे चलकर मै आज यहॉ तक पहुंची हूं

अंगार अधर पे धर कर
ज्वला को होंठों से पीकर
दाह हसरतों का करके
मै आज यहं तक पहुंची हूं

फूलों से खुशबू लेकर
कण कण से नफरत चुन कर
कॉटों से मुस्कान लिए
मै आज यहॉ तक पहुंची हूं

स्वप्न संसार नयन मे धर
धीर ह्रदय मे धर करके
पुरजोर वेग विपरीत हवा
लहर लहर तूफान लहर
तूफानों को कश्ती बना
मै आज यहं तक पहुंची हूं

Language: Hindi
371 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from NIRA Rani
View all
You may also like:
23/21.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/21.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डिगरी नाहीं देखाएंगे
डिगरी नाहीं देखाएंगे
Shekhar Chandra Mitra
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
Harminder Kaur
*श्रमिक मजदूर*
*श्रमिक मजदूर*
Shashi kala vyas
कोसो दूर है
कोसो दूर है
Dr fauzia Naseem shad
मुहब्बत  फूल  होती  है
मुहब्बत फूल होती है
shabina. Naaz
Dr. Arun Kumar shastri
Dr. Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वक्त।
वक्त।
Taj Mohammad
करवा चौथ
करवा चौथ
Manoj Tanan
नहीं हूँ मैं किसी भी नाराज़
नहीं हूँ मैं किसी भी नाराज़
ruby kumari
शाकाहार बनाम धर्म
शाकाहार बनाम धर्म
मनोज कर्ण
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
छठ पूजा
छठ पूजा
Satish Srijan
✍️तुम ख़ुद ✍️
✍️तुम ख़ुद ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
*समय है बहता पानी (कुंडलिया)*
*समय है बहता पानी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
देख लेना चुप न बैठेगा, हार कर भी जीत जाएगा शहर…
देख लेना चुप न बैठेगा, हार कर भी जीत जाएगा शहर…
Anand Kumar
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
सम्राट कृष्णदेव राय
सम्राट कृष्णदेव राय
Ajay Shekhavat
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुझ में जो खो गया है वह मंज़र तलाश कर। बाहर जो ना मिले उसे अंदर तलाश कर।
तुझ में जो खो गया है वह मंज़र तलाश कर। बाहर जो ना मिले उसे अंदर तलाश कर।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जिंदगी में पराया कोई नहीं होता,
जिंदगी में पराया कोई नहीं होता,
नेताम आर सी
*देश के  नेता खूठ  बोलते  फिर क्यों अपने लगते हैँ*
*देश के नेता खूठ बोलते फिर क्यों अपने लगते हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
Anil Mishra Prahari
शादी
शादी
विनोद सिल्ला
तुम्हें ना भूल पाऊँगी, मधुर अहसास रक्खूँगी।
तुम्हें ना भूल पाऊँगी, मधुर अहसास रक्खूँगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
संस्कार संयुक्त परिवार के
संस्कार संयुक्त परिवार के
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
चॉकलेट
चॉकलेट
सुरेश अजगल्ले"इंद्र"
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
Mahesh Tiwari 'Ayan'
राहें
राहें
Sidhant Sharma
Loading...