Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2023 · 2 min read

चक्रव्यूह की राजनीति

चक्रव्यूह की राजनीति है कुछ अजीबोगरीब,
आज तक न समझ पाया इस खेल को कोई,
सत्ता के लोलुप कर रहे है,
आज राजनीतिक अधिकारों का दुरुपयोग,
मार काट, छीना- झपटी,
आज हो गया फैशन आधुनिक राजनीति का।
………..
खूब चलते हैं जुता चप्पल, डंडे,
संसद के गलियारों में,
बहस और चुहलबाज़ी का बाज़ार गर्म है,
और दबा दी जाती आवाज राजनीति के आदर्शों की,
आदर्श तो राजनीति से मानो कोसों दूर हो गए हों।
…….
जाति, धर्म, भाषा और संप्रदाय विशेष,
की आवाज़ गूंज रही है संसद के आंगन में,
समाज का हर नागरिक कैसे खुशहाल रहे,
नहीं सोचता इस विषय पर आज कोई।
…………
देश – सेवा के नाम पर आज हो रही पेट – सेवा,
अपनी लोकप्रियता और कालाबाजारी के जुगाड में,
हर कोई अपना रहा है अलग – अलग हथकंडे
राम नाम को विस्मृत कर,
आज उसी के नाम पर तैयार कर रहे हैं वोट बैंक।
…………….
वोट बैंक को तैयार करने के लिए,
बेझिझक रेत रहे हैं गला एक दूसरे का,
भगवान का नाम भी,
राजनीति का टायकून बना दिया है।
………….
सत्यता, ईमानदारी, कर्मठता जैसे राजनीति के आदर्श,
आज गायब हो चुके हैं राजनीति से, और,
छल, प्रपंच, झूठ और फरेब का बाजार गर्म है,
जो समाज को कर रहे हैं कुरु कुरु स्वाहा।
………..
आज राजनीत में देने की बात न होकर,
राजनीति से लेने की बात हो रही है,
ऋषि – मुनि और साधु – संन्यासी भी सत्कर्म छोड़कर,
भगवा वस्त्र पहनकर,
लगा रहे हैं राजनीति के महाकुंभ में डुबकी।
…………..
आज राजनीत में निज स्वार्थों को तबज्जो दी जाती है,
किसान आत्महत्या कर रहा है तो भी सरकार मौन है,
समाज का विकास मीडिया के विज्ञापनों से हो रहा है,
समाज में गरीबी का आज भी बोलबाला है,
पर गरीबी को दूर करने के उपाय न ढूंढ कर,
गरीब को हटाए जाने की राजनीति है,और,
दिखाए जा रहे गरीबी के चीथड़े मीडिया पर बड़े चाव से,
राजनीति की आंच पर पकाई जा रही है स्वार्थों की रोटियां, और,
राजनीति के आदर्शों का छोंका लगा कर पकाई जा रही है दाल-सब्जी।

घोषणा – उक्त रचना मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है। इस रचना का किसी राजनीतिक पार्टी से कोई जुड़ाव या सरोकार नहीं है। यह रचना पहले फेसबुक पेज या व्हाट्स एप ग्रुप पर प्रकाशित नहीं हुई है।

डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।

Language: Hindi
193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आंधी है नए गांधी
आंधी है नए गांधी
Sanjay ' शून्य'
आओ ...
आओ ...
Dr Manju Saini
🌲प्रकृति
🌲प्रकृति
Pt. Brajesh Kumar Nayak
स्कूल बन गया हूं।
स्कूल बन गया हूं।
Taj Mohammad
"मुक्तिपथ"
Dr. Kishan tandon kranti
नीली साइकिल वाली लड़की
नीली साइकिल वाली लड़की
rkchaudhary2012
"आँखों में लाल-लाल,
*Author प्रणय प्रभात*
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
2395.पूर्णिका
2395.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग)
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग)
दुष्यन्त 'बाबा'
डिजिटल प्यार था हमरा
डिजिटल प्यार था हमरा
The_dk_poetry
ए ! सावन के महीने क्यो मचाता है शोर
ए ! सावन के महीने क्यो मचाता है शोर
Ram Krishan Rastogi
गुरूर का अंत
गुरूर का अंत
AMRESH KUMAR VERMA
मानपत्र
मानपत्र
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हासिल नहीं है कुछ
हासिल नहीं है कुछ
Dr fauzia Naseem shad
भगवान का शुक्र है आपका कोई पैगाम तो आया।
भगवान का शुक्र है आपका कोई पैगाम तो आया।
Surinder blackpen
सो गया है आदमी
सो गया है आदमी
कुमार अविनाश केसर
जीवन
जीवन
Mahendra Narayan
आज अपना सुधार लो
आज अपना सुधार लो
Anamika Singh
खिलाड़ी
खिलाड़ी
महेश कुमार (हरियाणवी)
शिखर ब्रह्म पर सबका हक है
शिखर ब्रह्म पर सबका हक है
मनोज कर्ण
*साला-साली मानिए ,सारे गुण की खान (हास्य कुंडलिया)*
*साला-साली मानिए ,सारे गुण की खान (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आया है प्यारा सावन
आया है प्यारा सावन
Dr Archana Gupta
फांसी के तख्ते से
फांसी के तख्ते से
Shekhar Chandra Mitra
'कैसी घबराहट'
'कैसी घबराहट'
Godambari Negi
✍️आसमाँ का हौसला देता है✍️
✍️आसमाँ का हौसला देता है✍️
'अशांत' शेखर
जिंदगी,
जिंदगी,
हिमांशु Kulshrestha
हो तुम किसी मंदिर की पूजा सी
हो तुम किसी मंदिर की पूजा सी
Rj Anand Prajapati
अबला नारी
अबला नारी
Neeraj Agarwal
ये दुनिया है
ये दुनिया है
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Loading...