Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2020 · 1 min read

चंद इज़हार

ज़माने की नज़रों में गिरने वाले गिरकर कभी ना कभी उठ जाते हैं , पर खुद की नज़रों से गिरने वाले कभी न उब़र पाते हैं ।

वो ज़माने को खुदग़र्ज़ कहते रहे ,पर कभी अपने ग़िरेबान में झांक कर ना देखा, वो खुद कितने खुदग़र्ज़ थे।

जिनको ज़माने ने सताया हो उन्हें चंद अपनों की हम़दर्दी मिल भी जाती है , पर जो अपनों के सताए हों उन्हे हम़दर्दी मुश्क़िल से ही मिलती है।

च़ाहत बिना ज़िंदगी अधूरी है , जिस क़दर खूब़सूऱत फ़ूल की हस्ती बिना म़हक अधूरी है।

क़ुसूर उनकी आंखों की मय़ का था , पर मेरी बेख़ुदी का इल्ज़ाम प़ैमाने पर आया।

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
8 Likes · 8 Comments · 375 Views

Books from Shyam Sundar Subramanian

You may also like:
जुबाँ चुप हो
जुबाँ चुप हो
Satish Srijan
जीवन अनमोल है।
जीवन अनमोल है।
जगदीश लववंशी
🌴🌺तुम्हारे चेहरे पर कमल खिला देखा मैंने🌺🌴
🌴🌺तुम्हारे चेहरे पर कमल खिला देखा मैंने🌺🌴
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
✍️पत्थर✍️
✍️पत्थर✍️
'अशांत' शेखर
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
पी रहा हूं मै नजरो से
पी रहा हूं मै नजरो से
Ram Krishan Rastogi
दरवाजा
दरवाजा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दोहा
दोहा
नवल किशोर सिंह
Writing Challenge- वर्तमान (Present)
Writing Challenge- वर्तमान (Present)
Sahityapedia
होंसला
होंसला
Shutisha Rajput
श्रृंगारिक दोहे
श्रृंगारिक दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अति आत्मविश्वास
अति आत्मविश्वास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कलम की ताकत
कलम की ताकत
Seema gupta,Alwar
ये हमारे कलम की स्याही, बेपरवाहगी से भी चुराती है, फिर नये शब्दों का सृजन कर, हमारे ज़हन को सजा जाती है।
ये हमारे कलम की स्याही, बेपरवाहगी से भी चुराती है,...
Manisha Manjari
खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
बैठ पास तू पहलू में मेरे।
बैठ पास तू पहलू में मेरे।
Taj Mohammad
देश के नौजवान
देश के नौजवान
Shekhar Chandra Mitra
हिन्दी भाषा
हिन्दी भाषा
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
पसंदीदा व्यक्ति के लिए.........
पसंदीदा व्यक्ति के लिए.........
Rahul Singh
कई सूर्य अस्त हो जाते हैं
कई सूर्य अस्त हो जाते हैं
कवि दीपक बवेजा
*लटके-झटके इनके सौ-सौ, दामादों की मत पूछो (हास्य गीत)*
*लटके-झटके इनके सौ-सौ, दामादों की मत पूछो (हास्य गीत)*
Ravi Prakash
बाती
बाती
Dr. Girish Chandra Agarwal
आरक्षण का दंश
आरक्षण का दंश
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
आसमां में चांद अकेला है सितारों के बीच
आसमां में चांद अकेला है सितारों के बीच
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मेरी नज़्म, शायरी,  ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
मेरी नज़्म, शायरी, ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
अनंत पांडेय "INϕ9YT"
जीवन की विफलता
जीवन की विफलता
Dr fauzia Naseem shad
■ इसे भूलना मत...
■ इसे भूलना मत...
*Author प्रणय प्रभात*
Ek jindagi ke sapne hajar,
Ek jindagi ke sapne hajar,
Sakshi Tripathi
शेर
शेर
Rajiv Vishal
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
मनोज कर्ण
Loading...