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28 Mar 2024 · 1 min read

चंद अशआर

🌺 चंद अशआर 🌺

ख़्वाब उनका आँखों में पल रहा है ।
कमबख़्त मिरी नींदों से जल रहा है ।।

वस्ल का दिन तो.. मुक़र्रर था फ़िर ।
क्यूँ ये लम्हा हाथों से फिसल रहा है ।।

संवारने मिरे इश्क़ का मुस्तक़बिल ।
माज़ी भी मुस्कुराकर साथ चल रहा है ।।

©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

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