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8 Jun 2023 · 1 min read

चंद अशआर -ग़ज़ल

🌺 चंद अशआर 🌺

ग़मों की अब ये निशानी लगती है ।
मुझे तो हिज्र की कहानी लगती है ।।

नफ़ासत से..दिल को तोड़ देने की ।
रस्म तो मुझको… पुरानी लगती है ।।

यूँ तो हर मौसम है इश्क़ का लेकिन ।
साथ उनके हर रुत सुहानी लगती है ।।

नफ़रत उनकी भी प्यार से क़ुबूल है ।
उनसे जिंदगी में आसानी लगती है ।।

©डॉ वासिफ़ काज़ी, इंदौर
©काज़ी की कलम

28/3/2, अहिल्या पल्टन, इंदौर, मध्यप्रदेश

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