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28 Mar 2023 · 1 min read

चंद अशआर -ग़ज़ल

🥀 चंद अशआर 🥀

यादों को तेरी दिल से लगाकर रक्खा है ।
काम ज़रूरी है सबको बताकर रक्खा है ।।

ख़ाली छोड़ा है कोना दिल के आशियाने में ।
गमों के गुलदस्ते को वहीं सजाकर रक्खा है ।।

ज़रूरत पर जो…… फेर लेते हैं मुंह अक्सर ।
ऐसे रिश्तों को भी अब तक निभाकर रक्खा है ।।

हमारी हर दुआ में…… ज़िक्र है उनका मगर ।
उन्होंने अपने जेहन से हमको हटाकर रक्खा है ।।

लोग जला देतें हैं…………. खतों को वासिफ ।
उसने मेरे खतों को अब तक बचाकर रक्खा है ।।

© डॉक्टर वासिफ क़ाज़ी , इंदौर
© क़ाज़ी की कलम

1 Like · 226 Views
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