Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

चंदा मामा (बाल कविता)

चाँदनी रात में खिलखिला के हँसते हो
कितने उजले दाँत हैं आपके प्यारे मामा?
मैं आपके लिए नया टूथ ब्रश खरीदूँगा
मेरे घर भी आओ ना चंदा मामा.

मेरी माँ मुझसे कहती है की
चंदा मामा अपने घर आएंगे
तुम्हें मेला घुमाने ले जाएंगे
उनके साथ रहना गरम गरम जलेबियाँ खिलाएंगें.

देखो चिंटू ईधर आ जाओ
जल्दी कुछ मीठा ले आओ
चाँदनी रात में आए चंदा मामा
देखो वो तुम्हें देखकर कितना मुस्कुराए.

हम सबके प्यारे मामा
कहाँ छुपते फिरते? जल्दी घर आना
सभी बच्चों के संग आप भी खेलना
प्रोमिस करो खिलौने लेकर आना.

अच्छा चिंटू तुम कहते हो तो?
आज मैं एसा ही करूँगा
ढेर सारे खिलौने के संग
चमचमाती खुशियाँ भी लाउँगा.

मामा ये तो बता दो की आप
कहाँ छुपते फिरते रहते हो?
जब भी आपको देखता हूँ
आप तो मंद मंद मुस्कुराते रहते हो.

सच में चिंटू पिंटू आ जाओ तुम सभी
संग मिलकर हँसी खेल करतें हैं
मुस्कुराना ही तो अपना काम
मैं हूँ सभी प्यारे बच्चों के चंदा मामा.

कवि- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

Language: Hindi
1 Like · 497 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan Karigar
View all
You may also like:
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
Manisha Manjari
3476🌷 *पूर्णिका* 🌷
3476🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
विजया घनाक्षरी
विजया घनाक्षरी
Godambari Negi
जिंदगी
जिंदगी
अखिलेश 'अखिल'
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
Neelofar Khan
राम मंदिर
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
गणतंत्रता दिवस
गणतंत्रता दिवस
Surya Barman
वाक़िफ नहीं है कोई
वाक़िफ नहीं है कोई
Dr fauzia Naseem shad
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
Ashwini sharma
आजा आजा रे कारी बदरिया
आजा आजा रे कारी बदरिया
Indu Singh
मेरी …….
मेरी …….
Sangeeta Beniwal
एक हम हैं कि ख्वाहिशें,चाहतें
एक हम हैं कि ख्वाहिशें,चाहतें
VINOD CHAUHAN
"खामोशी"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी गलती से कुछ नहीं सीखना
अपनी गलती से कुछ नहीं सीखना
Paras Nath Jha
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ना जाने क्यों...?
ना जाने क्यों...?
भवेश
सादगी मुझमें हैं,,,,
सादगी मुझमें हैं,,,,
पूर्वार्थ
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
पुरानी यादें, पुराने दोस्त, और पुरानी मोहब्बत बहुत ही तकलीफ
पुरानी यादें, पुराने दोस्त, और पुरानी मोहब्बत बहुत ही तकलीफ
Rj Anand Prajapati
अपने अपने कटघरे हैं
अपने अपने कटघरे हैं
Shivkumar Bilagrami
मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
कलियुग की सीता
कलियुग की सीता
Sonam Puneet Dubey
एक मैसेज सुबह करते है
एक मैसेज सुबह करते है
शेखर सिंह
सब की नकल की जा सकती है,
सब की नकल की जा सकती है,
Shubham Pandey (S P)
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
Shashi kala vyas
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...