Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2022 · 1 min read

घर से निकले मगर दहलीज पार ना हुई

घर से निकले मगर दहलीज पार ना हुई
कई बार गिरे हम,लेकिन कभी हार न हुई|

जंग -ए- मैदान में खड़े हैं, हम इस कदर
अभी बाकी है , जिन्दगी पार नहीं हुई !!

Language: Hindi
1 Like · 70 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
ख़ुशामद
ख़ुशामद
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मंजिल तक पहुंचने
मंजिल तक पहुंचने
Rashmi Mishra
राहें भी होगी यूं ही,
राहें भी होगी यूं ही,
Satish Srijan
"पकौड़ियों की फ़रमाइश" ---(हास्य रचना)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कोई आयत सुनाओ सब्र की क़ुरान से,
कोई आयत सुनाओ सब्र की क़ुरान से,
Vishal babu (vishu)
अंदर से टूट कर भी
अंदर से टूट कर भी
Dr fauzia Naseem shad
इतना घुमाया मुझे
इतना घुमाया मुझे
कवि दीपक बवेजा
हाँ मैं किन्नर हूँ…
हाँ मैं किन्नर हूँ…
Anand Kumar
विरही
विरही
लक्ष्मी सिंह
*काँटा चाहिए साहिब 【मुक्तक】*
*काँटा चाहिए साहिब 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
"नजरिया"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने आप को ही सदा श्रेष्ठ व कर्मठ ना समझें , आपकी श्रेष्ठता
अपने आप को ही सदा श्रेष्ठ व कर्मठ ना समझें , आपकी श्रेष्ठता
Seema Verma
तितली रानी
तितली रानी
Vishnu Prasad 'panchotiya'
पहाड़ का अस्तित्व - पहाड़ की नारी
पहाड़ का अस्तित्व - पहाड़ की नारी
श्याम सिंह बिष्ट
💐अज्ञात के प्रति-86💐
💐अज्ञात के प्रति-86💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
👌आज का शेर —
👌आज का शेर —
*Author प्रणय प्रभात*
!!! हार नहीं मान लेना है !!!
!!! हार नहीं मान लेना है !!!
जगदीश लववंशी
खिचड़ी,तिल अरु वस्त्र का, करो हृदय से दान
खिचड़ी,तिल अरु वस्त्र का, करो हृदय से दान
Dr Archana Gupta
जिंदगी के वास्ते
जिंदगी के वास्ते
Surinder blackpen
हुनर
हुनर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Sakshi Tripathi
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
Taj Mohammad
2268.
2268.
Dr.Khedu Bharti
" यही सब होगा "
Aarti sirsat
मैं आग लगाने आया हूं
मैं आग लगाने आया हूं
Shekhar Chandra Mitra
आशिकी
आशिकी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शब्द कम पड़ जाते हैं,
शब्द कम पड़ जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सिर्फ तुम्हारे खातिर
सिर्फ तुम्हारे खातिर
gurudeenverma198
"तुम्हारी हंसी" (Your Smile)
Sidhartha Mishra
Loading...