घर समाज परिवार से नाता तोड़ लिया
एक प्रेमी प्रेम का इजहार करता है
बस कुछ दिनों बाद पछताता है
इस तरह
तुमको देखकर मन मचल जाता था
मुझे तो हर जगह तुम ही तुम नज़र आते थे
वह लिपस्टिक की लाली
वह पतली कमर मटका कर चलने वाली।
दिल चाहता था कुछ कहूँ तुमसे
न एक पल दूर रहूँ तुझसे
आखिर तुमने मुझे पसंद कर लिया
आज मैनें ठंडी आँहे भर लिया।
आज हम दोनों ने शादी कर लिया
आज हम दोनो ने मोह्नी मुस्कान ले लिया।
आज हमने यहीं से बर्बादी का रास्ता भी चुन लिया
घर समाज परिवार से हमनें नाता तोड़ लिया।।।
राकेश कुमार राठौर
चाम्पा (छत्तीसगढ़)