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6 Apr 2020 · 1 min read

घरों में कैद हैं

घरों में कैद हैं ।
दिलो में छेद है ।
हो रहा उसका,
सबको खेद है ।

प्रकृति को कर रुष्ट ।
स्वयं को किया नष्ट ।
मानव तू बड़ा स्वार्थी,
अब झेल रहा है कष्ट ।

समझ ले समय है अभी ।
लोभ मोह छोड़ सभी ।
चुन ले प्रेम की राह,
आएगी खुशियाँ तभी ।
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
Tag: कविता
181 Views

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