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29 Jun 2016 · 1 min read

घराना ढूंढते है………………

घराना ढूंढते है

कर सके गुफ्तगू हाल-ऐ-दिल
ऐसा हमसफ़र याराना ढूंढते है !!

सिर्फ बातो तक न हो जमीमा का
ऐसी मुलाकातो का बहाना ढूंढते है !!

जहॉं मे देखे लोग दिल के बड़े मुफलिस
मिले जाये रसिक महफ़िल,ज़माना ढूंढते है !!

वीरानगी सी छाई है इस तंग शहर में
करदे रौनक ऐ दिल वो तराना ढूंढते है !!

बहुत जी लिये “धर्म” गम की पनाहो में
खिले फिरदौस-ऐ-गुल वो घराना ढूंढते है !!

!
!
!

डी. के. निवातियाँ _________

जमीमा का = सीमित
मुफलिस = दिवालियापन
फिरदौस = उपवन, स्वर्ग

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