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20 Mar 2024 · 1 min read

गौरैया दिवस पर

हायकु

धूल में नहा,
चहकती गौरिया,
थी सुहावन.

आंगन में थी
फुदकती गौरैया,
हर सावन.

झारोखों में है,
घोंसला थी बनाती,
गौरैया आती.

चीं चीं करके,
चुन चुन चुगती,
दाना आंगन.

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

Language: Hindi
78 Views
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