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7 Jun 2023 · 1 min read

कल चमन था

कल चमन था आज सब वीरान है।
हर गली तन्हा पड़ी सुनसान है।

दर्द – ए- दिल रोज़ ही बढ़ता गया,
अब मिरा ख़ुद पे नहीं इम्कान है।

अब कहाँ बाकी रही इंसानियत
हर तरफ़ हैवान ही हैवान है।

याद बुलबुल को दिलाती कैद ये,
ख़त्म सारी चाहतें अरमान हैं।

हिंद काशी हिंद काबा है मिरा,
जान ‘नीलम’ हिंद पे कुर्बान है।

इम्कान- क़ाबू

नीलम शर्मा ✍️

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 94 Views
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