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7 Feb 2022 · 1 min read

गुलाब (हास्य मुक्तक)

*गुलाब (हास्य मुक्तक)*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
गुलाबों बीच टहनी में लगे काँटें भी होते हैं
विधाता ने खुशी के साथ गम बाँटे भी होते हैं
गुलाबों की ये खुशबू गिफ्ट में कुछ सोचकर देना
कभी लड़की है पट जाती ,कभी चाँटें भी होते हैं
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
325 Views

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