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5 Sep 2022 · 1 min read

गुरु

गुरु

‘पढ़ा’ तो हमें, कोई भी लेता है,
‘सिखा, कौन पाता है’ वह ‘गुरु’ है।।

‘चलना’ तो हमें कोई भी सिखा देता है,
‘गिरने से, बचा कौन पाता है, वह ‘गुरु’ है।।

‘उजाला’ तो आंगन में कोई भी कर लेता है,
‘अंधकारमय जीवन से प्रकाश, की ओर कौन ले जा पाता है’ वह ‘गुरु’ है।।

‘रास्ता’ तो हमें कोई भी बता देता है,
‘सही दिशा, दिखा कौन पाता है’ वह ‘गुरु’ है।।

‘अच्छे बुरे का पाठ’ तो हमें कोई भी पढ़ा लेता है,
‘सही गलत का फर्क, बता कौन पाता है’ वह ‘गुरु’ है।।

‘चुनौतियां’ तो हमें कोई भी दे देता है,
‘मुश्किलों से लड़ना, सिखा कौन पाता है’ वह ‘गुरु’ है।।

‘विभिन्न विषयों के पाठ’ तो हमें कोई भी पढ़ा लेता है,
‘हमारी छवि को शिक्षित, बना कौन पाता है’ वह ‘गुरु’ है।।

सीमा टेलर ‘तू है ना’ (छिम़पीयान‌‌‌ लम्बोर)

Language: Hindi
Tag: कविता
5 Likes · 6 Comments · 122 Views
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