Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2024 · 1 min read

“गुरु पूर्णिमा” की हार्दिक शुभकामनाएं….

“गुरु पूर्णिमा” की हार्दिक शुभकामनाएं….

मेरी कला की साधना का नित नया विन्यास हो,
साहित्य में संदेश हो- माधुर्य हो- उल्लास हो।
पथ से कभी भटकूँ नहीं सन्मार्ग पर चलता रहूँ-
आशीष हो गुरु आपका, मुझ पर सदा विश्वास हो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव

1 Like · 63 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
Kanchan Khanna
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
पूर्वार्थ
बेटी
बेटी
Vandna Thakur
भारत के सैनिक
भारत के सैनिक
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
* नहीं पिघलते *
* नहीं पिघलते *
surenderpal vaidya
जा रहा है
जा रहा है
Mahendra Narayan
"तन्हाई"
Dr. Kishan tandon kranti
...
...
*प्रणय प्रभात*
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
लालबहादुर चौरसिया लाल
अगर आपके पास निकृष्ट को अच्छा करने कि सामर्थ्य-सोच नही है,
अगर आपके पास निकृष्ट को अच्छा करने कि सामर्थ्य-सोच नही है,
manjula chauhan
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
मन  बंजारा  लौट  चला  है, देखी  दुनियादारी।
मन बंजारा लौट चला है, देखी दुनियादारी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पितृ हमारे अदृश्य शुभचिंतक..
पितृ हमारे अदृश्य शुभचिंतक..
Harminder Kaur
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
शेखर सिंह
मेरे अशआर
मेरे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
Khaimsingh Saini
2714.*पूर्णिका*
2714.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ना तो कला को सम्मान ,
ना तो कला को सम्मान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कभी कभी सच्चाई भी भ्रम सी लगती हैं
कभी कभी सच्चाई भी भ्रम सी लगती हैं
ruby kumari
नारी-शक्ति के प्रतीक हैं दुर्गा के नौ रूप
नारी-शक्ति के प्रतीक हैं दुर्गा के नौ रूप
कवि रमेशराज
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये बात पूछनी है - हरवंश हृदय....🖋️
ये बात पूछनी है - हरवंश हृदय....🖋️
हरवंश हृदय
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
पहला प्यार नहीं बदला...!!
पहला प्यार नहीं बदला...!!
Ravi Betulwala
గురువు కు వందనం.
గురువు కు వందనం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
हे ईश्वर
हे ईश्वर
Ashwani Kumar Jaiswal
Loading...