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31 Aug 2018 · 1 min read

गुनगुनाने से रहे

जिन्दगी है कीमती यूँ ही लुटाने से रहे
हर किसी के गीत तो हम गुनगुनाने से रहे

पैर अंगद से जमे हैं सत्य की दहलीज पर
हो रही मुश्किल बहुत लेकिन हटाने से रहे

अर्जियाँ सब गुम गईं या फाइलों में कैद हैं ?
पूछता वह रोज है, साहब बताने से रहे

रोज नतमस्तक हुए हैं प्रेम के आगे, मगर
नफरतों के सामने तो सर झुकाने से रहे

शेर सुनना चाहते हो तो बजाओ तालियाँ
आपकी चाहत न हो तो हम सुनाने से रहे

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