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6 Jan 2023 · 1 min read

गीत

अज्ञानों के अर्धज्ञान पर हामी भर,
कैसे कह दूं पागल! नश्वर हैं हम तुम।

द्वापर में जो कृष्ण सिखा कर चले गए।
जिसके स्वर में स्वर वंशी के रचे गए।
वही कमी कलयुग में पूरी करने को।
जीवन की सब नीरसताई हरने को।

आसमान ने, जो धरती को भेजा उस
प्रेम पत्र के अंतिम अक्षर, हैं हम तुम।

मनु तक प्रेषित ईश्वर इच्छा प्रलय समय।
नूह, यहोवा की कश्ती में विलय समय।
जिसे संरक्षित मत्स्य रूप में करना था।
जिसको परे विनाश काल से रखना था।

वृक्षों, सूक्ष्म शरीरों, ऋषियों के संग जो,
गए बचाए वो प्रेमान्तर हैं हम तुम।
©शिवा अवस्थी

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