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17 Jun 2022 · 1 min read

गीत

रात अंधेरी बीतेगी फिर,सुबह सुहानी आएगी।
हरे-भरे सब मरुथल होंगे,वीरानी मिट जाएगी।
मेघ धरा पर रवि किरणों का,
आना रोक नहीं पाते।
काँटों बीच सुमन रह करके,
हरपल रहते मुस्काते।
बढ़े चलो दृढ़ निश्चय करके,मंजिल भी अपनाएगी।
रात अंधेरी बीतेगी ——
बागों में पतझड़ का मौसम,
नहीं हमेशा रहता है।
साथ समय के दुख कम होता,
हर कोई ये कहता है।
आएगा मधुमास कोकिला,फिर शाखों पर गाएगी।
रात अंधेरी बीतेगी——-
चट्टानों से टकराकर ही,
निर्झर आगे बढ़ता है।
छेनी और हथौड़े से ही,
मूर्तिकार बुत गढ़ता है।
कर्मशील जो होगा दुनिया, उसको शीश नवाएगी।
रात अंधेरी बीतेगी फिर——-
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 151 Views
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