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11 Mar 2023 · 1 min read

गीत शब्द

गीत
शब्द हमारे मन का चित्रण
शब्दों की हरियाली है
जब भी शब्द झरे अधरों से
शब्दों की रखवाली है ।।

शब्द सुमन अर्पण यह जन का
अभिलाषा उदबोधन का
भाव शून्य जब जगत् खड़ा हो
तेरे मेरे मर्दन का
जब भी शब्द मरे कमरों में
शब्दों की बिकवाली है…..

शब्द लहर है, मन का सागर
नदिया सा उच्छवास रे
भीगी-भीगी पलकें कहतीं
यही अपना विश्वास रे
जब भी शब्द सजे कजरों में
शब्दों की दीवाली है…

मर्यादा का दर्पण देखा
बदला-बदला मुखमंडल
एक निशानी इतिहासों की
उड़ता-उड़ता यह आंचल
जब भी शब्द घिरे खतरों से
तब तब बात सँभाली है।।

सूर्यकांत

Language: Hindi
Tag: गीत
57 Views
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