गीत यह वरदान हो ! :::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट८२)
गीत यह वरदान हो ( गीत )
————————–
धूपमें भी जो कराये छॉह की अनुभूति को ,
गीत यह उनको समर्पित , चाहता वरदान हो !
कामनाओं के सजे शत — शत कलश फिर स्वर्ण के ।
साधना को पख मिले , अम्बर मिले सुख – शॉतिका ।
घन अगर गर्जे न कम हो, दामिनी – किलकारियों से ।
हो उजाला जिंदगी में ,दूर हो तम भ्रॉति का ।
आत्म निष्ठा से मिलन को छटपटाते मौन| जो ,
प्रेम का सम्बल बने , उनको सरस प्रतिदान हो । ।
हाथ में पतवार दे , नैराश्य को जो आस दे ,
घोर झंझावातमें जो दीप बुझने दें नहीं ,
जो भँवर में भी उतरकर कूल देते हैं ,बचाते —
जो व्यथा की भी कथा सुन स्नेह चुकने दे नहीं ,
वे भी कमल यशस्वी ही प्रेरणा के स्रोत हो ।।
—– जितेंद्रकमल आनंद