Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Nov 2022 · 4 min read

गीत-बेटी हूं हमें भी शान से जीने दो

हक है हमे भी कहने दो
————-
हक़ हैं हमें भी कहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

हम भी करेंगे ऊँचा काम,
मत रोको हमें,
आगे बढ़ने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

नारी शक्ति हूँ,
अबला नहीं,
सबला बनके रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

कर सकती हूँ मैं भी,
हर एक काम,
घर की दीवारों में,
कैद न रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

कुछ लम्हा ही सही,
हम बेटियों को,
खुल कर जीने दो,
सपनों को साकार करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

तकलीफ होती हैं हमें भी,
अब सहन हद पार हुआ,
हाथ बढ़ाओ हमें पीछे न रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

गर बेटा है संसार,
तो बेटी है दुनियाँ,
न खुद करो अंतर,
जमाने को अब भेद-भाव न करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

तोहमतों का सफर कब होगा खत्म,
जो कहते हैं बेटियों को,
चौखट पार न करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

यकीनन नमुहजजिब शख्स ही,
करते हैं अक्सर भेद-भाव,
समझदार की शख्सियत तो अब रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

बेटी हूँ बेटियों के दर्द से वाकिफ हूँ,
हम बेटियों को बेदर्द न कहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

माजी,हाल,मुस्तकबिल हैं बेटियाँ,
इन्हे सिर्फ नाम मात्र न रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

हर दिन कहीँ न कही बेटियाँ,
प्रताड़ित होती हैं,
आखिर क्यों इसी समाज से,
आवाज़ आने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

आस-पास के वातावरण में,
बेटी की महिमा गायी जाती हैं,
वहीं दूसरी ओर बेटी की,
आवाज दबाई जाती हैं,
खामोश मत करो हमें,
हमें भी वाचाल रहने दो ,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

बहुत हुआ तिरस्कार,
मिले अब हमें पहचान,
खुले आसमान में न सही,
जमीं पर ही हमें बने रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

घर में रोई नहीं,
मकान में हँसी नहीं,
यूँ घुटन में न मरने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

बन्दिशों में बँधकर,
रही ताउम्र बेटियाँ,
अब बेटियों को,
जंजीर में न बँधने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

कुछ हम बेटियों का भी,
हक और कर्तव्य हैं,
अपने हक और कर्तव्य,
को भी अब पूरा करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

बेटा जाता अक्सर,
एक शहर से दूसरे शहर,
करता देश-विदेश का सफ़र,
हमें भी दुनिया देखने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

मलाल नहीं हमें समाज से,
बेटी, परी, गुड़िया, शहजादी,
राजकुमारी, देवी, नारी,
और नारायणीय हैं,
इसे गुलाम न बनने दो,
दुर्व्यवहार का शिकार न होने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

मान-सम्मान से,
नज़र-अँदाज न करो हमें,
लाजवाब अँदाज में रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

हम खुद एक ख़िताब हैं,
बंद किताब न बनने दो,
घरेलू हिंसा, असमानता,
लिंग-भेद न होने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जालिमों के जुल्म पर,
हम भारी पड़ जायें,
कुछ ऐसा जुनून खुद में रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

अब कोई बेटी मुश्किलों में न पड़े,
सारी बेटियों को एक-जुट होकर,
संकल्प करने दो,
हमे बिटियाँ बनके जीने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

माँ दुर्गा, माँ काली,
माँ आमिना, माँ फातिमा,
फिर क़्यों हम बेटियाँ लाचार,
सर्व शक्ति, भक्ति हैं हम,
खुद की शक्तियों को सलाम करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

दुनियाँ में आने से पहले ,
और ताउम्र साजिशे करते हो,
हमें मिटाने की,
विनती हैं वक्त से पहले ,
मिट्टी में हमें न मिलने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जीते जी मरने,
मारने की खबरें फैलाते हो,
आखिर क्यों बेटी से इतना घबराते हो?
मासूमियत को सलाम न सही ,
सलामती से रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

अब वक्त हैं,
डट कर जीने के लिए,
मत रोको हमें,
गर आ जाये बात अस्तित्व पर,
राक्षसों का वध करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

मेरे अल्फाज़ो को तराना मत समझो,
बेटियों के दर्द में उभरी ,
कलमकारी ही रहने दो,
हमारी जय-जयकार न सही ,
चैन सुकून में रहने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जमी-आसमान, दिन-रात,
की दूरी जैसी,
हो गयी हैं बेटी,
फासला अब सिमटने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

जितना आसान था,
उतना कठिन हो गया,
अब समझना बेटी के जज़्बातों को,
अब मन की बात करने दो,
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

चारों ओर अँधेरा,
बेटी के मुकद्दर में,
अब उजाले की मशाल जलने दो
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

माना कि मैं “शमा” हूँ,
पर हूँ भारत देश की बेटी,
मुझे जलाओ नहीं,
शिक्षा की रोशनी करने दो
बेटी हूँ हमें भी शान से जीने दो।

🇮🇳जय हिंद जय भारत 🇮🇳

शमा परवीन, बहराइच, उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1 Comment · 100 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अलार्म
अलार्म
Dr Praveen Thakur
बिंदी
बिंदी
Satish Srijan
हिंदी की दुर्दशा
हिंदी की दुर्दशा
Madhavi Srivastava
कविका मान
कविका मान
Dr. Sunita Singh
उतर गया चढ़ा था जो आसमाँ में रंग
उतर गया चढ़ा था जो आसमाँ में रंग
'अशांत' शेखर
मतलब छुट्टी का हुआ, समझो है रविवार( कुंडलिया )
मतलब छुट्टी का हुआ, समझो है रविवार( कुंडलिया )
Ravi Prakash
मानवता की चीखें
मानवता की चीखें
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम
प्रेम
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
तुम नहीं आये
तुम नहीं आये
Surinder blackpen
हज़ारों सदियाँ इतिहास के मंज़र से बे-निशान ग़ायब हो जाती हैं
हज़ारों सदियाँ इतिहास के मंज़र से बे-निशान ग़ायब हो जाती हैं
Dr. Rajiv
वोटों की फसल
वोटों की फसल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आदमी से आदमी..
आदमी से आदमी..
Vijay kumar Pandey
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
Rashmi Sanjay
बरसात हुई
बरसात हुई
Surya Barman
💐प्रेम कौतुक-403💐
💐प्रेम कौतुक-403💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
संसद
संसद
Bodhisatva kastooriya
मुझमें अभी भी प्यास बाकी है ।
मुझमें अभी भी प्यास बाकी है ।
Arvind trivedi
सुखी को खोजन में जग गुमया, इस जग मे अनिल सुखी मिला नहीं पाये
सुखी को खोजन में जग गुमया, इस जग मे अनिल सुखी मिला नहीं पाये
Anil chobisa
रंग जीवन के
रंग जीवन के
Ranjana Verma
उतना ही उठ जाता है
उतना ही उठ जाता है
Dr fauzia Naseem shad
आजादी का दीवाना था
आजादी का दीवाना था
Vishnu Prasad 'panchotiya'
इमारत बड़ी थी वो
इमारत बड़ी थी वो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
रिश्ता
रिश्ता
Dr. Kishan tandon kranti
लहर
लहर
Shyam Sundar Subramanian
■ यादों की खिड़की-
■ यादों की खिड़की-
*Author प्रणय प्रभात*
इस तरह बदल गया मेरा विचार
इस तरह बदल गया मेरा विचार
gurudeenverma198
चमत्कार को नमस्कार
चमत्कार को नमस्कार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तारों का झूमर
तारों का झूमर
Dr. Seema Varma
" तुम्हारे इंतज़ार में हूँ "
Aarti sirsat
माँ
माँ
लक्ष्मी सिंह
Loading...