Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2016 · 1 min read

“गीतिका”

गीतिका –
——

ये’ जीवन विधाता का’ उपहार है |
ये’ माने वही जो समझदार है |

बुलाती हैं’ गलियाँ मे’रे देश की
विदेशी ये’ राहें कहाँ प्यार है |

बड़ा मोल अपनों का’ समझो इसे
निभाना सदा ही ये’ संसार है |

जगत के जो’ रस्ते हैं’ टेढ़े बने
न रखना सरोकार बेकार है |

सहज पथ ही’ चुनना गमन के लिए
सफर की घड़ी बस बची चार है |

मैं’ राही अकेला चला आ रहा
सँभालो विधाता ये’ मनुहार है |

मिले जब भी’ “छाया” ठहरना वहीं
समझ लो विधाता का’ आभार है |

“छाया”

1 Comment · 549 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
Rj Anand Prajapati
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
DrLakshman Jha Parimal
3729.💐 *पूर्णिका* 💐
3729.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
How do you want to be loved?
How do you want to be loved?
पूर्वार्थ
"ममतामयी मिनीमाता"
Dr. Kishan tandon kranti
"समय का भरोसा नहीं है इसलिए जब तक जिंदगी है तब तक उदारता, वि
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
कागज की कश्ती
कागज की कश्ती
Ritu Asooja
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
Ranjeet kumar patre
आईना बोला मुझसे
आईना बोला मुझसे
Kanchan Advaita
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अच्छा होगा
अच्छा होगा
Madhuyanka Raj
कुछ अपनें ऐसे होते हैं,
कुछ अपनें ऐसे होते हैं,
Yogendra Chaturwedi
दीप आशा के जलें
दीप आशा के जलें
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
Sanjay ' शून्य'
पंख पतंगे के मिले,
पंख पतंगे के मिले,
sushil sarna
जब तक हम ख़ुद के लिए नहीं लड़ सकते हैं
जब तक हम ख़ुद के लिए नहीं लड़ सकते हैं
Sonam Puneet Dubey
“पथ रोके बैठी विपदा”
“पथ रोके बैठी विपदा”
Neeraj kumar Soni
चली ⛈️सावन की डोर➰
चली ⛈️सावन की डोर➰
डॉ० रोहित कौशिक
कबीर ज्ञान सार
कबीर ज्ञान सार
भूरचन्द जयपाल
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
Sonu sugandh
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सफ़र ख़ामोशी का
सफ़र ख़ामोशी का
हिमांशु Kulshrestha
।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।
।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)*
*हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
यह ज़मीं है सबका बसेरा
यह ज़मीं है सबका बसेरा
gurudeenverma198
"The Dance of Joy"
Manisha Manjari
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
VINOD CHAUHAN
ये नामुमकिन है कि...
ये नामुमकिन है कि...
Ravi Betulwala
**बात बनते बनते बिगड़ गई**
**बात बनते बनते बिगड़ गई**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...