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4 Aug 2022 · 1 min read

गीतायाः पाठ:।

कोSपि मनुष्यं विद्वताया: बलेन गीताया: अर्थस्य ज्ञानं कर्तुं शक्नोति।ईश्वरस्य शरणं भवने सति गीतायाः अर्थं प्रकट: भवति।भगवान् गीतायाः पाठेन बहु प्रसन्नं भवति।गीतापाठेन सः बहु प्रसन्नं भवति।गीता-रामायणं ग्रन्थ: यत्र स्थापयतः।तत्र भूत-प्रेत-पिशाच न आगच्छत:।एतान् ग्रन्थान् प्रणमति तु अतिशक्ति: प्राप्त: भवति।

©®अभिषेक:पाराशर

Language: Sanskrit
165 Views
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