*गिरिधर कविराय सम्मान*

*गिरिधर कविराय सम्मान*
——————————–
*तूलिका बहुविधा मंच* व्हाट्सएप साहित्यिक समूह के द्वारा दिनांक *13 मई 2020 बुधवार* को मुझे गिरिधर कविराय सम्मान कुंडलिया लेखन के क्षेत्र में प्रदान किया गया । इस उपलब्धि से मुझे बहुत प्रोत्साहन तथा संतोष की अनुभूति हो रही है। कुंडलिया लेखन के क्षेत्र में गिरिधर कविराय ही एकमात्र ऐसे कवि हैं , जिनका नाम और कुंडलिया दोनों एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं।
कविता लिखने की एक विधा होती है , जिसका नाम है “कुंडलिया”। मैंने लगभग 25 – 30 साल पहले कुंडलियों का एक शतक भी लिख डाला था । लेकिन कुंडलिया का शब्द – विधान मुझे पता नहीं था । अब इधर आकर करीब 2 साल पहले मैंने एक व्हाट्सएप समूह में अपनी एक कुंडलिया लिखी , तो उस पर टिप्पणी आई कि यह कुंडलिया नहीं है । फिर उसकी कई कमियाँ बताई गयीं । जैसे कुंडलिया का पहला और अंतिम शब्द एक समान होना चाहिए , इतनी – इतनी मात्राएँ होनी चाहिए, आदि – आदि । शुरू में तो मैंने मुक्त कुंडलिया छंद लिखे मगर फिर मैंने नियमानुसार अपने आप को ढाला और मेहनत की तथा कुंडलिया विधान के अनुसार कुंडलियाँ लिखना शुरू किया। मैंने यह तय कर लिया कि मैं निर्दोष कुंडलियाँ लिखूँगा और अब सौ प्रतिशत महारत इस विधा में प्राप्त करने का प्रयत्न करूँगा। मैंने अपनी हर गलती सुधारी। जहाँ जो कुछ सीखने को मिला, मैं सीखता चला गया और अब अनेक विद्वान मेरी सराहना करते हैं। हालाँकि अभी भी अगर कोई मुझे कुंडलिया विधा के बारे में कुछ सलाह दे ,तो मैं सीखने के लिए बराबर तैयार हूँ।
*लेखक : रवि प्रकाश*बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99 97 61 5451*