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26 Jul 2024 · 1 min read

“गिराने को थपेड़े थे ,पर गिरना मैंने सीखा ही नहीं ,

“गिराने को थपेड़े थे ,पर गिरना मैंने सीखा ही नहीं ,
डराने को गहरे अँधेरे थे , पर डरना मैंने सीखा ही नहीं l
बड़ी शिद्दत की, उसने मुझे हराने की ,
रण छोड़ दू कैसे ,
पीठ दिखाना ,मैंने सीखा ही नहीं l”
“नीरज कुमार सोनी”
जय श्री महाकाल 🕉️

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