Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2022 · 1 min read

*गाँधी नाम आते हैं (मुक्तक)*

*गाँधी नाम आते हैं (मुक्तक)*
_________________________
हमेशा से मौहब्बत का जो, ले पैगाम आते हैं
उन्हीं दूतों में ईसा-बुद्ध-गाँधी नाम आते हैं
बहुत थक जाते हैं जब लोग, लड़ते-लड़ते आपस में
अहिंसा के ये जादू‌गर हैं, जो फिर काम आते हैं
—————————————
रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र..)
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
48 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.

Books from Ravi Prakash

You may also like:
कर गमलो से शोभित जिसका
कर गमलो से शोभित जिसका
प्रेमदास वसु सुरेखा
अहंकार
अहंकार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मिले तो हम उनसे पहली बार
मिले तो हम उनसे पहली बार
DrLakshman Jha Parimal
चांद ने सितारों से कहा,
चांद ने सितारों से कहा,
Radha jha
#सामयिक_सलाह
#सामयिक_सलाह
*Author प्रणय प्रभात*
दो दोस्तों की कहानि
दो दोस्तों की कहानि
Sidhartha Mishra
♤ ⛳ मातृभाषा हिन्दी हो ⛳ ♤
♤ ⛳ मातृभाषा हिन्दी हो ⛳ ♤
Surya Barman
शुरुवात जरूरी है...!!
शुरुवात जरूरी है...!!
Shyam Pandey
शिव दोहा एकादशी
शिव दोहा एकादशी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
वाणशैय्या पर भीष्मपितामह
वाणशैय्या पर भीष्मपितामह
मनोज कर्ण
शिव ताण्डव स्तोत्रम् का भावानुवाद
शिव ताण्डव स्तोत्रम् का भावानुवाद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
शेयर
शेयर
rekha mohan
समय को दोष देते हो....!
समय को दोष देते हो....!
Dr. Pratibha Mahi
रैन बसेरा
रैन बसेरा
Shekhar Chandra Mitra
धार तुम देते रहो
धार तुम देते रहो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
💐प्रेम कौतुक-311💐
💐प्रेम कौतुक-311💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पुस्तकें
पुस्तकें
डॉ. शिव लहरी
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
Vishal babu (vishu)
"अपने हक के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
डी. के. निवातिया
प्रकृति का विनाश
प्रकृति का विनाश
Sushil chauhan
101…. छंद रत्नाकर
101…. छंद रत्नाकर
Rambali Mishra
हों कामयाबियों के किस्से कहाँ फिर...
हों कामयाबियों के किस्से कहाँ फिर...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Wakt ke girewan ko khich kar
Wakt ke girewan ko khich kar
Sakshi Tripathi
आंखों में शर्म की
आंखों में शर्म की
Dr fauzia Naseem shad
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*/ *दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*/ *दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
बट विपट पीपल की छांव ??
बट विपट पीपल की छांव ??
Tarun Prasad
वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है...
वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है...
Ram Babu Mandal
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...