Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 1 min read

ग़ज़ल _ हाले दिल भी खता नहीं होता ।

बह्र …..2122-1212 – 22
**************************
ग़ज़ल
1…
हाले दिल भी ख़ता नहीं होता !
ज़िक्र उनका ज़रा नहीं होता !!
2 …
ज़िन्दगी टूट कर कहाँ जाये !
उन से मरहला नया नहीं होता !!
3…
शर्म उरयानगी पे आती अब !
फिक्र आदिल ख़फ़ा नहीं होता !!
4…
वक़्त आखिर के साथ सब बदला !
दर्द अश्क़ों से भी नहीं होता !!
5….
ज़िम्मेदारी से भागता था वो !
चार वादा वफ़ा नहीं होता !!
6…
बे-वफ़ाई से हार कर बैठे !
‘नील’ सदमा बड़ा नहीं होता !!

✍नील रूहानी,,30/06/22🤔
( नीलोफर खान )💕

60 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वक्त के साथ
वक्त के साथ
Chitra Bisht
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
Phool gufran
आ अब लौट चले
आ अब लौट चले
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
वो अब नहीं आयेगा...
वो अब नहीं आयेगा...
मनोज कर्ण
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुछ बातें मन में रहने दो।
कुछ बातें मन में रहने दो।
surenderpal vaidya
गरिबी र अन्याय
गरिबी र अन्याय
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हम आगे ही देखते हैं
हम आगे ही देखते हैं
Santosh Shrivastava
मेरी दुनियाँ.....
मेरी दुनियाँ.....
Naushaba Suriya
"कुम्भकरण "
Dr. Kishan tandon kranti
*जीता है प्यारा कमल, पुनः तीसरी बार (कुंडलिया)*
*जीता है प्यारा कमल, पुनः तीसरी बार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
वक्त को यू बीतता देख लग रहा,
वक्त को यू बीतता देख लग रहा,
$úDhÁ MãÚ₹Yá
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
I'd lost myself
I'd lost myself
VINOD CHAUHAN
"नंगे पाँव"
Pushpraj Anant
खुलकर जी लो जिंदगी एक बार मिली है प्यारे..
खुलकर जी लो जिंदगी एक बार मिली है प्यारे..
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
Confession
Confession
Vedha Singh
फकीरी
फकीरी
Sanjay ' शून्य'
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नौ वर्ष(नव वर्ष)
Satish Srijan
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
नेताम आर सी
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
कवि दीपक बवेजा
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
मैने यह कब कहा की मेरी ही सुन।
मैने यह कब कहा की मेरी ही सुन।
Ashwini sharma
पृष्ठ- पृष्ठ पर प्यार के,
पृष्ठ- पृष्ठ पर प्यार के,
sushil sarna
बसंती बहार
बसंती बहार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
माता पिता के बाद जो कराता है आपके कर्त्तव्यपथ का ज्ञान उसे व
माता पिता के बाद जो कराता है आपके कर्त्तव्यपथ का ज्ञान उसे व
Rj Anand Prajapati
Loading...