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30 Jun 2024 · 1 min read

ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।

बह्र 🍂🍂 221-2121-1221-212
मफ़ऊलु-फ़ाइलातु-मफ़ाईलु-फ़ाइलुन
काफ़िया 🍂🍂 आ // रदीफ़ 🍂🍂 के देख
💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞
💕 गज़ल 💕
1,,,
सर को झुका के देख न सर को उठा के देख !
आयेंगे सब यहाँ पे हक़ीक़त बता के देख !!
2,,,
कितनी हंसी है शाम ,बहारों के दर्मियां !
दुनिया को एक बार जरा मुस्कुरा के देख !!
3,,
आंखों में फिर से शोले वही झिलमिला रहे !
लग जा गले से आज , मुहब्बत जगा के देख!!
4,,,
रूठा हुआ वो यार बहुत याद आ रहा ।
आँगन को खुशबुओं से मुनव्वर बना के देख !!
5,,
रातों को जाग जाग के आँसू बहा लिये!
एक बार फिर पुकार मुझे मुस्कुरा के देख !!
6,,,
हम रह न पाये दूर तूझे भी है ये खबर !
आवाज़ दे के देख , अभी आज़मा के देख !!
7,,,
तक़दीर जोड़ती है , सितारों की आड़ में !
तोड़े से भी न टूटे , शफक़्क़त हटा के देख !!
8,,,
खिल जाएँ वो गुलाब से उल्फ़त में आपकी !
बच्चों के सामने भी ज़रा मुस्कुरा के देख !!
9,,
दिल पर तेरी हज़ार हुकूमत हो साजना !
सिक्का मेरा चला है , इसे तू हटा के देख !!
!0,,
दिलबर मेरा हसीन, मुक़द्दर से मिल गया !
खुश हो रही है ‘नील’,नज़र को मिला के देख !!

✍नील रूहानी,,,29/06/22,,,,💖
( नीलोफर खान ),,,☺

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