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3 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

नीलगगन जो छाया-छाया होता है ।
धरती ने वो बोझ उठाया होता है ।

भावनाएँ तो मिलती हैं पूरी लेकिन,
थोड़ा-सा संकोच हटाया होता है ।

ख़ुद का साया तेरे पीछे है फिर भी,
पीछे-पीछे और भी साया होता है ।

तेरा चलना, उठना, रोना,गाना सब,
पहले से ही बना-बनाया होता है ।

जो बंदूक रखे है अपने कंधे पर,
उसका मन भी डरा-डराया होता है ।

—– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
1 Like · 84 Views
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