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14 Feb 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

देर शब तक जागना अच्छा नहीं
तीरगी से जूझना अच्छा नहीं

ये निगाहें मार डालेंगी मुझे
आपका यूँ देखना अच्छा नहीं

बोलने से पहले सोचा कीजिए
थूक कर फिर चाटना अच्छा नहीं

जल रहा हो घर पड़ोसी का अगर
हाथ अपना सेंकना अच्छा नहीं

दाग़ जो हैं आपके रुख़सार पर
आइने में ढूँढना अच्छा नहीं

ज़िन्दगी भर जिसपे तुम चलते रहे
कहते हो वो रास्ता अच्छा नहीं

टूटते हैं पंख तो टूटें मगर
हौसले का टूटना अच्छा नहीं

लोग तिल का ताड़ कर देते हैं ‘नूर’
सबसे हँस कर बोलना अच्छा नहीं

✍️ जितेन्द्र कुमार ‘नूर’
असिस्टेंट प्रोफेसर
डी ए वी पी जी कॉलेज आज़मगढ़

1 Like · 374 Views
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