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1 Dec 2022 · 1 min read

ग़ज़ल

——ग़ज़ल——

रूठ जाएगा यूँ प्यार सोचा न था
जीस्त हो जाएगी खार सोचा न था

वो चला जाएगा राह में छोड़कर
बेवफ़ा होगा दिलदार सोचा न था

क्या ख़बर थी मुहब्बत के बदले यहाँ
होगा नश्तर जिगर पार सोचा न था

ज़िन्दगी की जगह वो मुझे मौत की
यूँ कराएगा दीदार सोचा न था

दिल के मसनद पे जिसको बिठाया था वो
होगी ज़ालिम वो सरकार सोचा न था

दर्द आहों फुगां और तन्हाइयाँ
इश्क़ के होंगे किरदार सोचा न था

ये फ़साना मुहब्बत का प्रीतम मेरे
इतना होगा मज़ेदार सोचा न था

प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)

Language: Hindi
1 Like · 51 Views
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