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22 Jan 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

जिस्म क्या है रूह तक सब खुलासा देखियें।
आज के बालक बालिकाओं की भाषा देंखियें।

बदलतें मूल्यो संस्कारो से बिगड़ते बालक।
बदल गयें सब परिवेश;परिभाषा देंखियें।

माहौल नामाकूल उड़ रही बेंशर्मी की धूल।
बेकाबू सें हालात और हताशा देंखियें।

लाजशर्म को त्यागकर कुछ तो घर से भागकर।
डीजे बजते गली-गली नाचती सी उनपे रकासा देंखियें।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड

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