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27 Dec 2022 · 1 min read

– ग़ज़ल ( चंद अश’आर )

ग़ज़ल ( चंद अश’आर ) 🌷

दाग़ बेवफ़ाई का छिपाने लगे हैं ।
रंग वफ़ा के ……… उड़ाने लगे हैं ।।

बैठे हैं रेत पर सहरा की लेकिन ।
ख़्वाब समंदर के दिखाने लगे हैं ।।

तीरगी हिज्र की हटाने की ख़ातिर ।
चराग़ वस्ल के …… जलाने लगे हैं ।।

चाहत के आँगन से .. ख़ुद ही अब ।
शजर मायूसी का … हटाने लगे हैं ।।

“काज़ी” उनकी ख़ुशियों की ख़ातिर ।
ग़मों को अपने ……. बढ़ाने लगे हैं ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम

28/3/2 , अहिल्या पल्टन , इकबाल कालोनी
इंदौर , जिला – इंदौर , मध्यप्रदेश

Language: Hindi
Tag: ग़ज़ल
1 Like · 59 Views
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