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2 Oct 2024 · 1 min read

गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की

गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
मन में गुबार था कि सभी साथ हैं मेरे
जरा सी उबरने की कोशिश की तो आज मंजर ये है
खुदा तो रूठा था अपने भी खफा हो बैठे

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