गरूर मंजिलों का जब खट्टा पड़ गया

गरूर मंजिलों का जब खट्टा पड़ गया
छोटा -सा सिक्का इतिहास गड़ गया ,
जमाने के थपेड़ों से दम तोड़ देना था
वही शख्स अब इतना आगे बढ़ गया!!
कवि दीपक सरल
गरूर मंजिलों का जब खट्टा पड़ गया
छोटा -सा सिक्का इतिहास गड़ गया ,
जमाने के थपेड़ों से दम तोड़ देना था
वही शख्स अब इतना आगे बढ़ गया!!
कवि दीपक सरल