गरीब की मौत

मरते लोग बहुत हैं देखे, लेकिन आज मैं मारा गया।
एक मटकी को छूने से, मुझे मौत में सुलाया गया।।
यह मेरे शिक्षक है सम्मान में, मार उनसे खाता गया।
चिल्लाया चीखा बहुत मगर, मौत को बुलाया गया।।
भारत में संविधान लागू है, यही सोच स्कूल गया।
सब मेरे साथी पढ़ते हैं, इसलिए पढ़ने चला गया।।
एक मिट्टी को छूने पर, मुझे मिट्टी बना दिया गया।
जातिवाद आज भी जिंदा, यह मनुवाद ने दिखा दिया।।
रोया पीटा और मैं बिलखा, मार मार कर मारा गया।
चलती मेरी यू सांसों को जबरन मुझसे खींचा गया।।
कहे “आजाद” जातिवाद से, ऐसा कब तक और चलेगा।
धर्म, जाति और समुदाय में दलितों का खून बहता रहेगा।।
एक शिक्षक से यह उम्मीद न थी ऐसा जल्लाद निकलेगा।
अपने ही पुत्र के समान बच्चे को मार मार कर खुद निगलेगा।।
✍️✍️आलोक वैद “आजाद”
एक छोटा सा कवि एवम लेखक