Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2022 · 1 min read

“गणतंत्र दिवस”

“गणतंत्र दिवस”

‘आजाद’ होकर भी, जब ‘गुलामी’ थी;
सन् पैंतीस की , वो विधान पुरानी थी;
निज देश की, सदा बहुत बदनामी थी;
हिन्दुस्तान को भी,पहचान बनानी थी।

टिकी नजर, एक विधान की आस में;
तब चली, हवा ‘बसंती’ सन् पचास में;
‘बाबू साहेब’ ने, तब एक सभा बुलाई;
‘बाबा साहेब’ से, ‘संविधान’ लिखवाई।

झूम उठे थे तब तो, हरेक ‘भारतवासी’
जब ‘भारत’ ने त्यागा , ‘विधान’ बासी;
फिर तो बन गया था,अपना ‘संविधान’
बढ़ गया पूरे जग में, ‘भारत’ का मान।

अब इसे , लागू करने की थी हड़बड़ी;
तब तय हुई , तिथि ‘छब्बीस जनवरी’
साल था वह , सन् ‘उन्नीस सौ पचास’
आज निज ‘कानून’ था,’देश’ के पास।

आज चली थी, अंग्रेजी कानून पे डंडा;
जन-गण ने फहराया था, आज तिरंगा;
फिर सबने , मिल खूब खुशियां मनाई;
यही तारीख, ‘गणतंत्र दिवस’ कहलाई।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
स्वरचित सह मौलिक
…..✍️ पंकज ‘कर्ण’
…………कटिहार।।

Language: Hindi
3 Likes · 474 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बंटते हिन्दू बंटता देश
बंटते हिन्दू बंटता देश
विजय कुमार अग्रवाल
दुनिया इश्क की दरिया में बह गई
दुनिया इश्क की दरिया में बह गई
प्रेमदास वसु सुरेखा
■सामयिक दोहा■
■सामयिक दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ लोग बड़े बदतमीज होते हैं,,,
कुछ लोग बड़े बदतमीज होते हैं,,,
विमला महरिया मौज
कलम बेच दूं , स्याही बेच दूं ,बेच दूं क्या ईमान
कलम बेच दूं , स्याही बेच दूं ,बेच दूं क्या ईमान
कवि दीपक बवेजा
चाहे जितनी देर लगे।
चाहे जितनी देर लगे।
Buddha Prakash
शायद ऐसा भ्रम हो
शायद ऐसा भ्रम हो
Rohit yadav
💐प्रेम कौतुक-434💐
💐प्रेम कौतुक-434💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मित्रता का बीज
मित्रता का बीज
लक्ष्मी सिंह
#चाकलेटडे
#चाकलेटडे
सत्य कुमार प्रेमी
জীবন নামক প্রশ্নের বই পড়ে সকল পাতার উত্তর পেয়েছি, কেবল তোমা
জীবন নামক প্রশ্নের বই পড়ে সকল পাতার উত্তর পেয়েছি, কেবল তোমা
Sakhawat Jisan
जिन्दगी
जिन्दगी
Ashwini sharma
साहस
साहस
श्री रमण 'श्रीपद्'
कल मालूम हुआ हमें हमारी उम्र का,
कल मालूम हुआ हमें हमारी उम्र का,
Shivam Sharma
कानाफूसी है पैसों की,
कानाफूसी है पैसों की,
Ravi Prakash
कांटों में क्यूं पनाह दी
कांटों में क्यूं पनाह दी
Surinder blackpen
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
Leena Anand
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
तनिक लगे न दिमाग़ पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Dont judge by
Dont judge by
Vandana maurya
"अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |
Mukul Koushik
घुट रहा है दम
घुट रहा है दम
Shekhar Chandra Mitra
2288.पूर्णिका
2288.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नीति अनैतिकता को देखा तो,
नीति अनैतिकता को देखा तो,
Er.Navaneet R Shandily
तेरी खुशबू
तेरी खुशबू
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आओ ...
आओ ...
Dr Manju Saini
The waves are dying at the shore.
The waves are dying at the shore.
Manisha Manjari
मेरी बेटी मेरा अभिमान
मेरी बेटी मेरा अभिमान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
खुद को अपडेट करो - संघर्ष ही लाता है नया वर्ष।
खुद को अपडेट करो - संघर्ष ही लाता है नया वर्ष।
Rj Anand Prajapati
"कोढ़े की रोटी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...