Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2024 · 1 min read

गज़ल

बेगुनाही खड़ी हाथ मलती रही।
फैसले में सजा कलमें लिखती रही।।

खून पानी बना है जरा देखिए।
हंसता वह रहा वो सिसकती रही।।

आदमी आदमी ना रहा अब यहां।
आदतें रोज उसकी बदलती रही।।

इल्म का दायरा कागजों में बढ़ा।
शम्मा ही रोशनी को निगलती रही।।

बंद आंखें किये रात भर सब चले।
जुगनूओं की कतारें निकलती रही।।

बेखबर रहनुमा इस कदर कुछ हुआ।
रोज बा रोज बस्ती उजड़ती रही।।

रात “पूनम” की गुजरी है कुछ इस तरह।
शम्मा जलती रही और पिघलती रही।।

Language: Hindi
65 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jai Prakash Srivastav
View all
You may also like:
If you want to be in my life, I have to give you two news...
If you want to be in my life, I have to give you two news...
पूर्वार्थ
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
Dhananjay Kumar
विचार और भाव-2
विचार और भाव-2
कवि रमेशराज
क्यों बनना गांधारी?
क्यों बनना गांधारी?
Dr. Kishan tandon kranti
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
Buddha Prakash
😊
😊
*प्रणय*
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
VINOD CHAUHAN
अपनी कीमत उतनी रखिए जितना अदा की जा सके
अपनी कीमत उतनी रखिए जितना अदा की जा सके
Ranjeet kumar patre
बिटिया विदा हो गई
बिटिया विदा हो गई
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
हासिल जहाँ को करके भी
हासिल जहाँ को करके भी
Dr fauzia Naseem shad
*पूर्णिका*
*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन को आसानी से जीना है तो
जीवन को आसानी से जीना है तो
Rekha khichi
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
Paras Nath Jha
*हमेशा साथ में आशीष, सौ लाती बुआऍं हैं (हिंदी गजल)*
*हमेशा साथ में आशीष, सौ लाती बुआऍं हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कर्म पथ पर
कर्म पथ पर
surenderpal vaidya
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
Otteri Selvakumar
कान्हा को समर्पित गीतिका
कान्हा को समर्पित गीतिका "मोर पखा सर पर सजे"
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मानव हो मानवता धरो
मानव हो मानवता धरो
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
gurudeenverma198
जीवनचक्र
जीवनचक्र
Sonam Puneet Dubey
जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
Ashwini sharma
जाते जाते कुछ कह जाते --
जाते जाते कुछ कह जाते --
Seema Garg
लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मनमुटाव सीमित रहें,
मनमुटाव सीमित रहें,
sushil sarna
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
लेकिन क्यों
लेकिन क्यों
Dinesh Kumar Gangwar
नया साल
नया साल
'अशांत' शेखर
Loading...