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13 Jul 2016 · 1 min read

गजल

बाँध लेता प्यार सबको देश से
द्वेष से तो जंग का आसार है

लांघ सीमा भंग करते शांति जो
नफरतों से वो जले अंगार है

होड़ ताकत को दिखाने की मची
इसलिये ही पास सब हथियार है

सोच तुझको जब खुदा ने क्यों गढ़ा
पास उसके खास ही औजार है

जिन्दगी तेरी महक ऐसे गयी
जो तराशी तू किसी किरदार ने

शाम होते लौट घर को आ चला
बस यहाँ पर साथ ही में सार है

हे मधुप बहला मुझे तू रोज यूँ
इस कली पर जो मुहब्बत हार है

68 Likes · 1 Comment · 461 Views
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